रविवार, 16 फ़रवरी 2014

एक कला यात्रा कुछ पड़ाव ...


कला उत्सव
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एक कला यात्रा कुछ पड़ाव ...
अखिल भारतीय कला उत्सव गाजियाबाद 2005: प्रारंभ एक दृष्टि !

गाजियाबाद देश की राजधानी दिल्ली के करीब का शहर होने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश का एक औद्योगिक शहर है। इसका विकास जितने अल्प समय में हुआ है, उससे निश्चित रूप से प्रतीत होता है कि भविष्य में यह शहर विभिन्न विधाओं का केन्द्र बनेगा। ऐसे मंे समय की मांग है कि इस शहर में कला एवं संास्कृतिक गतिविधियंा बढे। इसी दिशा में विगत कई वर्षों में अनेक प्रयास हुए हैं, उदाहरणार्थ 2004 में राज्य ललित कला अकादमी, उ0 प्र0 के तत्वाधान मे ़ित्रदिवसीय क्षेत्रीय कला प्रदर्शनी का आयोजन, एक दिवसीय चित्रकला कार्यशाला, संगोष्ठी तथा संास्कृतिक कार्यक्रम जिनका प्रभाव कला शुभेक्षुआंे एवं कला प्रेमियांे पर हुआ जिसकी चर्चा लम्बे समय तक पूरे प्रदेश एवं देश के विभिन्न हिस्सांे में हुई है। 2004 के इस कार्यक्रम के शुभारम्भ के अवसर पर उ0 प्र0 सरकार के राजस्व मंत्री श्री अम्बिका चैधरी एवं उ0 प्र0 राज्य ललित कला अकादमी के अध्यक्ष श्री योगी जी के साथ नगर के गणमान्य जन एवं प्रशासन के अधिकारी गण भी मौजूद रहे। जबकि समापन उ0 प्र0 राज्य ललित कला अकादमी की सचिव श्रीमती अनुराधा गोयल ने किया।

जन सामान्य की प्रभावी प्रतिक्रिया स्वरूप अगले वर्ष, 2005 में राज्य ललित कला अकादमी उ0 प्र0 द्वारा त्रिदिवसीय प्रर्दशनी के लिए गाजियाबाद का पुनः चयन किया गया जिसकी अभूतपूर्व सफलता से उत्साहित हो पांच दिवसीय अखिल भारतीय कला उत्सव एवं कार्यशाला का आयोजन जिला प्रशासन के सहयोग से किया गया। इसमंे देश के विभिन्न हिस्सांे से विख्यात कलाकारांे ने भाग लिया तथा अपनी कला कृतियांे की रचना का प्रदर्शन किया। 

तत्कालीन जिलाधिकारी माननीय श्री संतोष कुमार यादव के संरक्षकत्व में आयोजित यह अखिल भारतीय कला उत्सव गाजियाबाद, गाजियाबाद के कला इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया है। दिनांक 16 फरवरी, 2005 से  20 फरवरी, 2005 तक कविनगर सामुदायिक केन्द्र गाजियाबाद में देश के जाने माने कलाकारो का संगम रहा जिसमें मुख्यतः चित्रकारों द्वारा पांच दिवसीय कला शिविर का आयोजन, संास्कृतिक कार्यक्रम एवं दिनांक 20 फरवरी से 25 फरवरी 2005 तक चित्र प्रदर्शनी गाजियाबाद की ऐतिहासिक घटना के रूप मे जाने जायेंगे।
उद्घाटन
इस कार्यक्रम का उद्घाटन श्री राजेन्द्र यादव व श्री अशोक वाजपेयी द्वारा 16 फरवरी, 2005 को प्रातः 11 बजे सम्पन्न हुआ, कार्यक्रम के अध्यक्ष व संरक्षक श्री संतोष कुमार यादव, जिलाधिकारी गाजियाबाद ने मुख्य अतिथियांे व देश भर से आये कलाकारों का स्वागत करते हुए शहरवासियों से आहवान किया कि गाजियाबाद की छवि बदलने के लिए इस तरह के आयोजन आवश्यक हैं। कला उत्सव के आयोजन पर विस्तार से अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने भावी योजनाओं की जानकारी दी जिसमें शीघ्र ही कला धाम का निर्माण, नियमित रूप से इस तरह के कार्यक्रमो को आयोजित करने पर बल देते हुए प्रशासन के इसी तरह सक्रिय सहयोग का आश्वासन दिया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में प्रख्यात साहित्यकार एवं हंस के संपादक श्री राजंेद्र यादव ने कलाआंे के विकास पर प्रकाश डालते हुए आम आदमी तक कला के प्रभाव एवं समझ का विस्तार करने के लिए इस तरह के आयोजन की प्रशंसा की । प्रसिद्ध संस्कृतिधर्मी श्री अशोक वाजपेयी ने विशेष रूप से कला के माघ्यम से नगर की छवि को सुधारने के लिए जिलाधिकारी एवं आयोजकों की इस सूझ की प्रशंसा की। प्रसिद्ध साहित्यकार श्री से0 रा0 यात्री ने कार्यक्रम मे अतिथिगण का परिचय दिया। जय नारायण सिंह, तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, गाजियाबाद ने समस्त अतिथियांे के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 अशोक कुमार जैन ने किया।   
चित्रकार कार्यशाला:
गाजियाबाद पूरे सप्ताह तक देश के नामी गिरामी कलाकारों के चित्र रचना के प्रदर्शन से अभिभूत रहा। अपार जन समूह जिसमें कलाप्रेमी, कलाकार, छात्र-छात्रायंे निरंतर अवलोकनार्थ आते रहे। सभी आमंत्रित कलाकारों ने दो-दो चित्र बनाये जिनमे पी0 एन0 चोयल, वीरेंद्र सिंह राही, मुरली लाहुटी, डाॅ0 बलदेव गम्भीर, आबिद सूरती, जीतेन हजारिका, आर0 के0 यादव, एस0 कृष्णप्पा, डाॅ0 एच0 एन0 मिश्रा, डाॅ0 राम शब्द सिंह, एस0 प्रणाम सिंह, डाॅ0 महेश चंद्र शर्मा एवं डाॅ0 लाल रत्नाकर (संयोजक, कला उत्सव) प्रमुख थे। स्थानीय चित्रकारों में डाॅ0 लता वर्मा, मनोज कुमार बालियान, विनोद जैन, डाॅ0 राकेश कुमार सिंह, रामबली प्रजापति, श्रीमती भावना तायल, श्रीमती सुनीता रानी, कु0 रेनू यादव, कु0 पूजा श्रीवास्तव, कु0 सुनीता यादव, श्रीमती कविता बालियान, विजय एम0 ढोरे, संदीप सिंह, कु0 जेबा यास्मीन, भानुप्रकाश दास, कुमार संतोष, आकाश झा, श्रीमती अनुराधा भदौरिया एवं यदु यादव आदि चित्रकारों ने विभिन्न माध्यमों में चित्र रचना की।
सांस्कृतिक कार्यक्रम:
कला उत्सव में दिन भर की थकान दूर करने हेतु सांध्यकालीन संास्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए जिसका शुभारम्भ दिनांक 16.02.2005 को जिलाधिकारी के यहां रात्रि भोज के अवसर पर आयोजित काव्य संध्या से हुआ जिसमें गोपाल दास नीरज, वसीम बरेलवी, कीर्ती काले सहित देशभर के अनेक सुप्रसिद्ध कवि एवं शायरो ने अपने काव्य पाठ के ्द्वारा चित्रकारो एवं आमंत्रित अतिथियों को आहलादित कर दिया। दिनांक 17.02.2005 को गाजियाबाद के राष्ट्रीय ख्याति के कवियों के ्द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें ओम प्रकाश चतुर्वेदी पराग, कृष्ण मित्र, डाॅ0 कुंवर बेचैन, कमलेश भट्ट कमल, धनंजय सिंह, बृजेश भट्ट, नित्यानंद तुषार, चेतन आनंद, मधु भारती, डा0 रमा सिह, योगंेद्र दत्त शर्मा, वेद प्रकाश शर्मा, मासूम गाजियाबादी, अनिल असीम एवं नेहा वैद इत्यादि ने काव्य पाठ किया। दिनांक 18.02.2005 को गाजियाबाद के प्रसिद्ध संगीत कार हरिदत्त शर्मा के निर्देशन मंे उनके शिष्याआंे ्द्वारा शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति की गयी। दिनांक 19.02.2005 को दूरदर्शन के कलाकारों ्द्वारा भावपूर्ण प्रदर्शन किया गया।
आतिथ्य सत्कार:
कला, कलाकार, प्रशासन एवं नगर के गणमान्य व्यक्तियांे के मध्य सीधा संवाद स्थापित करने हेतु कार्यक्रम की रूपरेखा बनाते समय ही यह तय किया गया कि प्रत्येक रात्रि भोज का आयोजन प्रमुख प्रशासनिक अधिकारियांे ्द्वारा किया जायेगा। जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, सचिव, जी0डी0ए0, मेयर, नगर निगम व नगर के अनेक उद्यमियांे ने संस्कृतिकर्मियांे को भोज पर निमंत्रित किया।उन्हांेने कलाकारांे का भरपूर स्वागत किया। श्री सोनी, श्री आलोक गर्ग, श्री विमल कुमार एवं श्री जगत प्रकाश गर्ग का सहयोग विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा। इन सबका असर देश भर से आये कलाकारों के मन पर इतना गहरा पडा कि उदयपुर, राजस्थान से आये वरिष्ठ व वयोवृद्ध चित्रकार पी0एन0 चोयल ने समापन समारोह के अवसर पर अपने सम्बोधन मे विशेष रूप से इसका उल्लेख करते हुए कहा कि कलाकारों का इतना आदर सत्कार जीवन में पहली बार गाजियाबाद में ही हुआ।
सहभागिता:
कला उत्सव की महत्वपूर्ण उपलब्धि यह रही की जनपद एवं आसपास के विभिन्न जनपदों के भिन्न-भिन्न वर्ग के लोेगोें को चित्रकला एवं चित्रकारों से सीधे तौर पर जुडने का अवसर प्राप्त हुआ। विभिन्न विद्यालयांे के छात्र-छात्राओं ने पहली बार इतने बडे कलाकारांे को काम करते हुए देखा तथा उनकी रचनाधर्मिता से लाभान्वित हुए। नवोदित कलाकारों ने भी इनके साथ काम करके बहुत कुछ सीखने एवं समझने का यत्न किया। बुद्धिजीवी, कलाशुभेच्छु, उद्यमी सभी किसी न किसी रूप में इस आयोजन से लाभान्वित हुए। इसलिए हम यह कह सकते हैं कि इस कार्यक्रम ने अपने उद्देश्यों को पूरी तरह प्राप्त किया।
मीडिया  
कार्यक्रम के सफल आयोजन में मीडिया का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा। देश के सभी जाने माने पत्र-पत्रिकाओं एवं जनपद के प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया ने कार्यक्रम को प्रचारित एवं प्रसारित किया। दूरदर्शन दिल्ली एवं अन्य चैनलों ने भी कला उत्सव की चर्चा की। 
कलाधामः
कलाधाम का शिलान्यास कविनगर के डी ब्लाक में स्थित थाने के पीछे दिनाॅंक 20 फरवरी, 2005 को प्रो0 रामगोपाल यादव, सांसद व नेता संसदीय दल लोकसभा समाजवादी पार्टी के कर कमलों द्वारा राजपाल त्यागी मंत्री, ग्राम्य विकास, उ0प्र0 की अध्यक्षता मंे हुआ। इस अवसर पर जिला प्रशासन व नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
समापन समारोहः
समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रो0 रामगोपाल यादव, सांसद व नेता संसदीय दल लोकसभा समाजवादी पार्टी थे। राजपाल त्यागी मंत्री, ग्राम्य विकास, उत्तर प्रदेश कार्यक्रम मेें विशिष्ट अतिथि के रूप मे शरीक हुए। प्रो0 रामगोपाल यादव जी ने कलाकारों को ईश्वर के बाद सृजनकर्ता के रूप मे चिन्हित किया तथा इस कार्यक्रम को राजनेताओं के लिए धूप से आकर छाॅव मे बैठना जैसा स्वीकार किया। उन्होंने विभिन्न प्रदेशों से आये चित्रकारों को दस-दस हजार रू के चेक प्रदान कर सम्मानित किया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में आर0पी0सिंह, उपाध्यक्ष गा0वि0प्राधि0 ने कहा कि कलाओं के विस्तार के लिए नगर मे कला केन्द्र का होना आवश्यक है जिसका शिलान्यास आज होे गया है, प्राधिकरण इसे चार माह मंे निमर््िात कराकर कलाकारों को सौंप देगा। सन्तोष कुमार यादव जिलाधिकारी, संरक्षक व अध्यक्ष ने कलाधाम के निर्माण के सपने के साकार होने के अपने वादे , एवं भावी योजनाओं पर चर्चा करते हुए समस्त अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। जनपद के समस्त जनप्रतिनिधियों ने इस अवसर पर उपस्थित होकर चित्रकारों को सम्मानित किया। सुरेन्द्र कुमार गोयल-सांसद, सुरेन्द्र कुमार मुन्नी -विधायक, दिनेश चन्द्र गर्ग-मेयर, डा0रमेश चन्द्र तोमर-पूर्व सांसद तथा अनेक गणमान्य लोग कार्यक्रम में शरीक हुए। कार्यक्रम के संयोजन का दायित्व इस लेखक का रहा है। 

सहयोगः
समस्त आयोजन श्री सन्तोष कुमार यादव, जिलाधिकारी गाजियाबाद के अभूतपूर्व दिशा निर्देशन मंे आयोजित हुआ जिसमें जिलाप्रशासन, जनप्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों, उद्यमियों एवं समाजसेवियों का योगदान रहा।इनमें से0रा0 यात्री, ओ0पी0 चतुर्वेदी पराग, डा0बी0बी0 सिंह, डा0जे0एल0 रैना, डा0कुॅवर बेचैन, डा0आर0एस0 मिश्रा विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। अतुल गर्ग, जगत प्रकाश गर्ग, मि0सोनी, विमल कुमार, डा0 अशोक कुमार जैन, डा0 मुकेश जैन, डा0प्रभारानी,डा0सुष्मिता भट्टाचार्य, डा0रीना सिंह, डा0प्रकाश चैधरी, डा0अनिल गोविन्दन, के0के0सिंह, विभागीय सहयोगी छात्र-छात्राओं सहित ने कार्यक्रम को बेहतर बनाने में सहयोग किया। 
प्रायोजकः
कार्यक्रम का प्रायोजन सिम्भावली शुगर मिल, सिम्भावली द्वारा किया गया। उनके अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा आयोजन को सफल बनाने मे महत्वपूर्ण योगदान दिया गया। विशेषकर जी0एम0 श्री भाटिया हर अवसर पर उपस्थिति रहे।

अखिल भारतीय कला उत्सव गाजियाबाद 2006 
(कलाधाम का निर्माण और चित्रकारों के साथ मूर्तिकारों का भी समावेश)

गाजियाबाद अपनी कला यात्रा में बढ़ चला था। प्रशासन ने इस अनिवार्यता को महसूस किया और कलाधाम की स्थापना डी ब्लाक कविनगर में हुई। यह कलाओं के विकास का एक सुयोग ही था कि किसी जनपद में प्रशासन इतनी तीव्रता से कला के विकास का एक केन्द्र निर्मित कराए। अब इस स्थान ने आकार ले लिया था जिसका सारा श्रेय जिलाधिकारी संतोष कुमार यादव को जाता है।उनके इस प्रयास से गाजियाबाद में  कलाओं के उत्थान के लिए कला आन्दोलन को गति मिली। 

2006 में कलाधाम में कला उत्सव की अभिलाषा और उत्साह चरम पर था। देश के नामी गिरामी मूर्तिकार और चित्रकार शहर में आ रहे थे। अमृतसर से अवतार सिंह, हैदराबाद से जी. वाई. गिरी, छत्तीसगढ़ से शिब प्रसाद चैधरी, लखनऊ से लालजीत अहीर, मुम्बई से सुशान्त कुंण्डु के साथ उनके साथी धनन्जय, कुमार संतोष आदि पत्थरों पर रूप उकेरने का तत्पर थे। कोलकाता से वरिष्ठ मूर्तिकार तरक गरई एक दिन पहले आ गए थे और सारी तैयारियों का जायजा ले रहे थे।
चित्रकारों में डा. कप्पू रजईया आंध्र प्रदेश से, डा. एच. एन. मिश्रा देहरादून से, आर.के.यादव दिल्ली से, जितेन हजारिका असम के, बल्देव गम्भीर अमृतसर से, डा. राम शब्द सिंह सहारनपुर से, डा. प्रणाम सिंह मणिपुर के, वी. एस. राही आईफेक्स से, मो. शकील एवं राजेन्द्र प्रसाद लखनऊ से, दीपक मधुकर सोनार पुणे से, अर्चना यादव भोपाल से, हरीश श्रीवास्तव दिल्ली से थे। इन्हीं के साथ थी गाजियाबाद के चित्रकारों की टोली: डा. लता वर्मा, कविता, मनोज, सुनीता रानी, रामबली, यदु और पुरू, सुनीता यादव के साथ सपना, अंजू, रजनी एवं इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के अनेक युवा कलाकार।

अखिल भारतीय कला उत्सव गाजियाबाद 2007 
(पूर्ण प्रायोजित कार्यक्रम दीप मेमोरियल पब्लिक स्कूल रामप्रस्थ गाजियाबाद के साथ-चित्रकारों एवं मूर्तिकारों का समारोह)

समय की मांग और संरक्षण की मंशा ने यह प्रयोग करने को विवश किया था, लेकिन यह कार्यक्रम ऐसे अनेक अनुभवों को छोड़ गया जो न तो कला के लिए और न ही संयोजक के नाते आगे के लिए अनुकरणीय थे। फिर भी जो कुछ हुआ वह बहुत था।

विराम काल: 2008, 2009, 2010, 2011, 2012 

अखिल भारतीय कला उत्सव गाजियाबाद 2013 
(कलाओं की ओर बढ़ता गाजियाबाद) 

यह महज संयोग ही था कि नोएडा में उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी की ओर से प्रायोजित 2003 की क्षेत्रीय प्रदर्शनी का आयोजन हुआ जिसमें स्टेडियम में टेंट में चित्रों को रस्सियों के सहारे लटका दिया गया था। इसमें मेरा भी एक चित्र लगा था। योगी साहब उन उ.प्र.रा.ल.क.अ. के अध्यक्ष हुआ करते थ,े उनसे जब मैंने अगली प्रदर्शनी गाजियाबाद में आयोजित करने का आग्रह किया तो उन्होंने सहर्ष मेरा आग्रह स्वीकार लिया।

उन दिनों गाजियाबाद के जिलाधिकारी संतोष कुमार यादव थे। जब मैंने उनके सम्मुख इस प्रस्ताव को रखा तो उनके सहयोग ने मेरा उत्साह इतना बढ़ाया कि आज के गाजियाबाद में कला की स्थिति का स्वरूप आपके सम्मुख है। ‘कला उत्सव’ एक कला यात्रा के कुछ पड़ाव.......में अखिल भारतीय कला उत्सव गाजियाबाद के विविध वर्षों के स्मरणीय चित्रावलियां, कलाधाम और स्कल्पचर पार्क की स्थापना एवं मूर्तियों का लगाया जाना शहर को कलाओं के लिए भी पहचाने जाने को विवश कर रहा है। कलाओं की विविधता को यद्यपि चित्र और मूर्ति से बांधना उचित नहीं होगा, फिर भी इनकी उपादेयता अधिक प्रभावी इसलिए भी हो जाती है कि यह अपने आप में भावनाओं की अभिव्यक्ति का दर्शनीय स्वरूप् जो है।

अखिल भारतीय कला उत्सव गाजियाबाद 2004, 2005, 2006 के उपरान्त इस वर्ष 2013 का आयोजन कई मायने में गाजियाबाद की कला के विकास में मील का पत्थर सावित हुआ।  लम्बे अन्तराल के उपरान्त गाजियाबाद में अखिल भारतीय कला उत्सव गाजियाबाद-2013 का आयोजन इसलिए सम्भव हो पाया क्योंकि इसे कलाप्रेमी श्री संतोष कुमार यादव का संरक्षकत्व मिला। निश्चित रूप से यह अवधारणा पुनस्र्थापित हुयी कि कलाआंे के समुचित विकास के लिए संरक्षकत्व की महती आवश्यकता है। गाजियाबाद नगर विकास की अवधारणा में प्रगतिगामी है, एवं वैश्विक मान्यताओं के अनुरूप अपना स्वरूप गढ़ने में अग्रणी है। यद्यपि इनका उद्येश्य व्यावसायिक ही है, पर भले ही आज उन्हें इसबात की जरूरत महसूस न हो पर कहीं न कहीं हमें हमारी परम्पराओं को भी जीवित रखते हुए उन्हें प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। इन्हीं उद्येश्यों की पूर्ति के लिए सांस्कृतिक गतिविधियां बढ़ाई जानी आवश्यक हैं, जिसे प्रशासन ने एक आयाम दिया है। ‘कलाधाम’ का निर्माण इन्हीं उद्येश्यों की पूर्ति के लिए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण गाजियाबाद द्वारा कराया गया है।

मूर्तिकारों की कार्यशालाः
हमेशा की तरह इस बार भी देश के कोने कोने से मूर्तिकारों एवं चित्रकारों की एक बड़ी टीम जिसमें युवा एवं वृद्ध समान रूप से शरीक हुए । मूर्तिकारों को अधिक समय और चित्रकारों को अपेक्षाकृत कम समय की जरूरत होती है, इसलिए मूर्तिशिल्पी फरवरी,24, 2013 को ही आ गए जिससे वह अपना कार्य समय से आरम्भ कर सकें और तय समय के भीतर पूरा कर लें। अतः मूर्तिकला कार्यशाला के आयोजन का आरम्भ फरवरी,25, 2013 को 11 बजे मुख्य अतिथि के रूप में पधारे पद्मश्री राम वी. सुतार के करकमलों द्वारा हुआ जिसकी अध्यक्षता संतोष कुमार यादव, उपाध्यक्ष, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने की। संरक्षकत्व का दायित्व एस.वी.एस. रंगाराव जिलाधिकारी, गाजियाबाद ने निर्वहन किया। इस अवसर पर सुश्री किरन यादव, यातायात पुलिस अधीक्षक, एस.वी राठौर एवं डी.पी.सिंह विशेष कार्याधिकारी गा.वि.प्रा. गाजियाबाद ने इस निहायत सादे समारोह में अतिथियों को उनके किट और पुष्पगुच्छ प्रदान किए। मुख्य अतिथि पद्मश्री राम वी. सुतार ने मूर्तिकला कार्यशाला का शुभारम्भ एक विशाल शिला पर अपने कुशल शिल्पी अन्दाज में जिस सधे अन्दाज से छेनी और हथौड़े के आघात लगाए तो कलाधाम का प्रांगण फिर से उस अट्हास से उन्मादित हो उठा। इस अवसर पर राजस्थान से बुलाए गए मूर्तिकारों के सहायकों का भी स्वागत किया गया। नगर से पधारे कला प्रेमी, पत्रकारगण, कला विद्यार्थियों एवं गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अधिकारीगण, अभियन्तागण, अभियन्त्रण सेवाओं एवं अन्य कर्मचारीगण के सम्मुख मूर्तिकारों ने अपनी शिलाओं को चिन्हित किया। संयोजकत्व एवं सहभागी मूर्तिकार का दायित्व भी लेखक ने निर्वहन किया एवं कार्यक्रम का संचालन डा.प्रकाश चैधरी ने किया।  

मूर्तिकारों ने अपने किट से एप्रिन निकालकर पहने और स्केच बुक पर कुछ आडी तिरछी रेखाएं खींचनी आरम्भ की, फिर क्या था कलाधाम परिसर में हथौड़े और छेनियों की झनकार और ग्राईण्डरों का शोर, काले मार्बल में बनते आकार, कलाकारों की चहल कदमी, आपसी हालचाल, दर्शकों की जिज्ञासा और और उनके काम का आकलन, क्रेन से शिलाओं का नियन्त्रण- इस प्रकार आरम्भ हुयी मूर्तिकलाओं की कार्यशाला। पूरे परिसर में संगीतलहरी के साथ सर्द हवाए,ं सायंकाल तक कोई रूकने का नाम ही नहीं ले रहा । दर्शकों का कौतुहल बना हुआ है, आकार दिखाई तो दे रहे हैं पर वे आकलन नहीं कर पा रहे हैं क्या बनेगा। उत्सुक दर्शक एक तरफ से हताश दूसरे मूर्तिकार से वही सवाल दाहरा रहे कि क्या बना रहे हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि इनमें असली मूर्तिकार कौन हैं, जो शिलाओं को तोड़ रहे हैं या जो उन्हें निर्देशन कर रहे हैं, अद्भुत संगम है।  यहां यह बताना जरूरी है कि अब तक जितने भी कैम्प यहां आयोजित हुए हैं उनमें काला मारबल ही प्रयोग किया गया है। आइए बताते हैं कौन कौन हैं इस बार के मूर्तिकार और ये कहां से यहां आए हैं-पहले चलते हैं तारक ‘दा’ के पास इनका पूरा नाम है श्री तारक गरई यह कोलकाता से आए हैं।ये इससे पहले भी सम्पन्न अखिल भारतीय कला उत्सव 2006 और 2007 में शरीक रहे हैं, स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले मूर्तिकार हैं। अन्तर्राष्ट््रीय ख्यातिलब्ध तारक दा ने शान्ति निकेतन से कला की शिक्षा के बाद अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। सभी माध्यमों में बहुत ही निपुणता से कार्य में दक्ष हैं। अन्य कलाओं में भी अपनी दखलंदाजी रखने वाले दादा सरल और मृदुल स्वभाव के व्यक्ति हैं। 2006 के कैम्प की इनकी एक समूह प्रतिमा जिसमें तीन प्रतिमाएं बनायी गयी थीं,  कलाधाम में स्थापित करते समय उन्हें अलग अलग कर दिया गया जिससे उनकी भव्यता तो कम हुई ही, वे अर्थहीन भी हो गयीं। दादा को जब इसका पता चला तो उन्हें बहुत दुख हुआ। संयोजक के नाते मैंने पुनः उन्हें गाजियाबाद आने के लिए राजी किया। जब यह बात उपाध्यक्ष महोदय को पता लगी तो उन्होंने दादा को आश्वस्त किया कि इसे संयोजित कर समुचित और उपयुक्त स्थान पर लगवाया जाएगा। इस बार दादा ने तीन विशाल शिलाखंड - लगभग 10 फुट ऊंचाई का वरण किया और उनको संयोजित कर ‘बुद्ध’ का विशाल चेहरा निरूपित किया। इसे बनाने में तीन सहयोगी कारबरों के साथ 15 दिनों तक निरन्तर कार्य किया। इसी क्रम में उन्हांेने एक और शिलाखण्ड को आकार दिया जिसका नाम ‘कृष्ण’ रखा। दादा का गाजियाबाद से बहुत ही अपनेपन का सम्बन्ध हो गया है। उन्हें यहां कला के विकास की असीम सम्भावनाएं दिखती हैं। यही तो बात है जिसके लिए उन्हांेने मूर्तियों के एक पार्क की मांग कर डाली। 

सी.पी.चैधरी उदयपुर, राजस्थान से हैं। राष्ट््रीय स्तर के वरिष्ठ मूर्तिकार श्री चैधरी गाजियाबाद के अखिल भारतीय कला उत्सव में पहली बार शरीक हुए। इन्होंने ‘खिड़की’ की रचना की है।  रतन लाल कन्सोडरिया अहमदाबाद, गुजरात के जाने माने मूर्तिकार हैं। यह पहली बार गाजियाबाद के अखिल भारतीय कला उत्सव में सिरकत किए हैं।इन्होंने यहां जल संरक्षण पर अपना शिल्प तैयार किया है।  नागप्पा प्रधानी बंगलौर, कर्नाटक से हैं। विश्वभारती कला निकेतन शान्तिनिकेतन से शिक्षा लेकर यह कला महाविद्यालय बंगलौर, कर्नाटक के मूर्तिकला विभाग में प्राध्यापक हैं। पहलीबार गाजियाबाद के अखिल भारतीय कला उत्सव में शरीक हुए हैं, ‘कम्पोजिशन’ नाम से आधुनिक शिल्प बनाया है। शिब प्रसाद बरार रायपुर, छत्तीसगढ़ से आए। ‘मदर-चाईल्ड’ शीर्षक से एक शिल्प तैयार किया है।  अशोक कुमार महापात्रा पुरी, उड़ीसा से हैं। इन्होंने ‘मूर्तिकार’ परम्परागत शैली में बनाया है।  सुशान्त कुण्डू मुम्बई,महाराष्ट््् से आए। ये गाजियाबाद के कला आन्दोलन के सक्रिय युवा हैं। मूर्तिकला कैम्प की तैयारी में हमेशा से इनका सहयोग रहा है, पहले गाजियाबाद आ जाना और सबसे बाद में जाना। युवा मूर्तिकार के नाते समकालीन कला पर गहरी पकड़, रचना की कसौटी पर खरे सुशान्त मेरे इस आयोजन के प्रमुख हिस्से से हो गए हैं। पी.इलाचेन्झियन युवा मूर्तिकार हैं। तमिलनाडु से पधारे चेन्झियन अनेक माध्यमों में दक्ष हैं। इनके मेटल के काम तो बहुत ही गजब के हैं। यहां पर जो वृषभ इन्होंने बनाया है, वह अब  पुराने बस अड्डे के चैराहे पर विराजमान है। नीलेश शिन्दे नागपुर, महाराष्ट््र के युवा मूर्तिकार हैं। गाजियाबाद पहलीबार आना हुआ पर अपने कौशल का प्रदर्शन जिस शिलाखण्ड में दिखाया ह,ै वह समकालीन मूर्तिशिल्प का नमूना है जिसे ‘सूरज और चांद’ शीर्षक दिया है।  परमिन्दर सिंह सन्धू पंजाब से आए और पहाड़ सी शिला चुनी और गढ़ दिया उसे, जिसके अर्थ तलासते रहे लोग।  शिवान और कुमार सन्तोष जो गाजियाबाद से हैं, ने भी आकृतियां तराशी हैं।  इन सब के साथ मुझे भी तारक दा ने लगा दिया उस विशाल शिलाखण्ड को गढ़ने के लिए जिसमें मुख्य अतिथि पद्मश्री राम वी. सुतार ने मूर्तिकला कार्यशाला का शुभारम्भ किया था। मंैने अपने कला पात्रों को रूपायित किया जिसमें आगे पीछे अनेक लोग जुड़ते गए, कुल संख्या हो गयी सात, एक दूसरे को सहारा देते मानवीय सम्वेदनाओं को समेटे बिना सिर के सात लोग एक साथ आ गए। इस शिल्प को नाम दिया ‘हमलोग’ जो अब जिलाधिकारी गाजियाबाद के मुख्यालय में अपनी एकता का सन्देश सम्प्रेषित कर रही है।  यह सारे मूर्तिकार लगातार अपने कार्य को मार्च,04,2013 तक पूरा करने का प्रयत्न करते रहे लेकिन इस बार की शिलाओं का आकार इतना विशाल था जो सामन्यतया किसी भी कैम्प में नहीं होता यही कारण है कि इन विशाल शिलाखण्डों को उचित स्थान पर उसी वक्त नहीे लगाया जा सका, जो अभी प्रक्रिया में है। परन्तु सभी ने सीमित समय में अपने मनोयोग से अपने चयनित कार्यों को पूरा ही कर लिया था। 

चित्रकारों की कार्यशालाः
चित्रकारों की कार्यशाला फरवरी,27, 2013 को श्री उदय प्रताप सिंह, अध्यक्ष हिन्दी संस्थान उ.प्र. एवं प्रख्यात साहित्यकर्मी श्रीमती चित्रा मुद्गल जी के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता संतोष कुमार यादव, उपाध्यक्ष, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने की। संरक्षकत्व का दायित्व एस.वी.एस. रंगाराव जिलाधिकारी गाजियाबाद ने निर्वहन किया। एस.वी राठौर एवं डी.पी.सिंह विशेष कार्याधिकारी गा.वि.प्रा. ने इस निहायत सादे समारोह में अतिथियों को उनके किट और पुष्पगुच्छ प्रदान किए। कार्यक्रम का संचालन विनोद वर्मा ने किया। अगर देखा जाय तो कलाएं हमारे समाज का प्रतिनिधित्व भी करती हैं, वे केवल एक सजावट की सामग्री नहीं हैं, इनमें कलाकार की अपनी अभिव्यक्ति भी है। इस बार जो चित्रकार इसमें शरीक हुए, वे इस प्रकार हैं श्री आलोक भट्टाचार्य कोलकाता, श्री भंवर सिंह पंवार, अहमदाबाद, गुजरात. श्री प्रेम सिंह, नोएडा. श्री आर.के. यादव, नई दिल्ली, श्री राव साहब गुरवु, पुणे, महाराष्ट््र, श्री मुरली लाहुटी पुणे, महाराष्ट््र, श्री अशोक भौमिक, नई दिल्ली, डा. राम शब्द सिंह, सहारनपुर, श्री मनोज बालियान, नई दिल्ली, श्रीमती डा. लता वर्मा, गाजियाबाद, श्रीमती कविता बालियान, गाजियाबाद, श्री कुमार संतोष, गाजियाबाद, श्रीमती रेनू यादव, गाजियाबाद, डा. अल्का चडढ़ा, मेरठ, श्रीमती प्रियंका जैन, सोनीपत, हरियाणा, श्रीमती रजनी, फरीदाबाद, हरियाणा, डा.दल श्रृंगार प्रजापति, मोदी नगर, गाजियाबाद। अरविन्द कुमार, गाजियाबाद. श्रीमती सीमा भाटी, गाजियाबाद, श्रीमती प्रीति वर्मा, गाजियाबाद, यदु एवं पुरू गाजियाबाद से इनके अतिरिक्त अनेक वे लोग भी शरीक हुए जो कुछ करना चाहते थे।  

अन्य सांस्कृतिक गतिविधियां:
अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में इस कैम्प के दरमियान सायंकालीन दैनिक कार्यक्रम चलता रहा जिनमें कवि सम्मेलन, मंचन, नृत्य एवं नृत्य नाटिकाएं भी आयोजित हुईं। प्रमुख रूप से इसमें जो कवि शरीक हुए उनमें थे डा. लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, निदेशक-आकाशवाणी, श्रीमती कीर्ति काले, विष्णु सक्सेना, पापुलर मेरठी, देवल अशीष, सुरेंद्र दुबे, विजेंन्द्र परवाज, नवाज देवबंदी, मासूम गाजियाबादी। गान्धर्व संगीत महाविद्यालय के कलाकार, वी.एम.एल.जी. कालेज गाजियाबाद की छात्राएं, एम.एम.एच. कालेज गाजियाबाद के छात्र छात्राएं, आजमगढ़ से पंडित नाट्य मंच एवं सारंगा, नई दिल्ली आदि ने अपने अभिनय से दर्शकों एवं कलाकारों की वाह वाहियां बटोरी।

अखिल भारतीय कला उत्सव गाजियाबाद-2013 के प्रायोजक आम्रपाली ग्रुप थे। गा0 वि0 प्रा0 गाजियाबाद के तत्वाधान में इस कला उत्सव में निर्मित मूर्तियां एवं कलाकृतियां अपने तरह की एक अमूल्य निधि हैं।  

निहायत सादे अन्दाज में हुए इस वर्ष के आयोजन का समापन दिनांक.04 मार्च 2013 को प्रो0 राम गोपाल यादव सांसद व नेता संसदीय दल लोकसभा समाजवादी पार्टी के द्वारा किया गया। सम्पूर्ण कला उत्सव में निर्मित मूर्तियां एवं कलाकृतियांे का अवलोकन कर प्रो0 यादव ने इनकी प्रासांगिता पर बल देते हुए राष्ट््र के कोने कोने से आए हुए कलाकारों के प्रति आभार ज्ञापित किया कि वे अपने कौशल से इस शहर के लिए बेशकीमती कलाकृतियां तैयार कर रहे हैं। यह शहर हमेशा इन्हें याद रखेगा। प्रो0 यादव ने उपाध्यक्ष, जिलाधिकारी, सचिव व समस्त गा0 वि0 प्रा0 गाजियाबाद के अधिकारियों की प्रशंसा करते हुए मुझे (लेखक) भी हिम्मत बधाई कि मैं अखिल भारतीय कला उत्सव गाजियाबाद के संयोजकत्व का दायित्व पूरा कर पा रहा हूं। इस अवसर पर कलाप्रेमी नगरवासी, छात्र छात्राएं एवं समस्त कलाकार शामिल हुए। 
मेरे इस कला आन्दोलन में एम. एम. एच. कालेज गाजियाबाद का परोक्ष और अपरोक्ष रूप से सहभागिता चित्रकला विभाग के वर्तमान एवं पुरातन छात्र छात्राओं की मेहनत, लगन एवं रचनात्मकता और प्राचार्य एवं प्रबन्धन का सहयोग, मेरे शिक्षक साथियों की दिलचस्पी ही मुझे सम्बल प्रदान करती है। कलाओं की ओर बढ़ते गाजियाबाद की कला संकल्पना का एक चरण और आगे बढ़ा जिसमें कलाकारों की मांग पर उपाध्यक्ष गा0 वि0 प्रा0 गाजियाबाद से मशविरा कर मूर्तिकला पार्क के निर्माण की प्रो0 राम गोपाल यादव द्वारा घोषणा की गयी जिसका श्री अखिलेश यादव मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश ने अपने गाजियाबाद आगमन पर संजय नगर में शिलान्यास किया, जिसने अब आकार लेना आरम्भ कर दिया है। आशा है यह शहर के लिए आकर्षण का केन्द्र भी बनेगा।

अखिल भारतीय कला उत्सव गाजियाबाद 2014
(21 फरौरी से 02 मार्च 2014 तक (एक नवीन प्रयोग भी स्क्रेप के साथ)
 सभी तरह से नवीनता की उमंग और गाजियाबाद का एक कला पर्व फरवरी का महीना ठण्ड का धीरे धीरे घटना और एक और अखिल भारतीय कला उत्सव की  तैयारी परीक्षाओं की तिथियाँ करीब फिर भी इसबार के आयोजन की  कुछ खूबियां आ. संतोष कुमार यादव के साथ पूरी रूप रेखा पर विमर्श और कला उत्सव कि तैयारियां जिनमें सबसे पहले देश के कोने कोने के कलाकारों की स्वीकृति और उनका चयन जिसमें इस बार महती भूमिका मूर्तिकारों के सम्बन्ध में श्री तारक दा (कोलकता) ने ले ली थी लेकिन कुछ अन्य मूर्तिकारों को भी इसमें बुलाया गया जिसमें उनकी सहमति भी ली गयी, ये सारे मूर्तिकार इस तरह से हैं ;

१-श्री तारक गरई मूर्तिकार (मार्बल एवं स्क्रेप) - कोलकाता 
२-श्री तपस  विश्वास  मूर्तिकार (स्क्रेप) - कोलकाता 
३. श्री शांतनु मित्र  मूर्तिकार (स्क्रेप) - कोलकाता 
४. श्री वासुदेव  विश्वास   मूर्तिकार (स्क्रेप) - कोलकाता (जालंधर)
५.  श्री प्रभाकर सिंह  मूर्तिकार (स्क्रेप) - पूना 
६. श्री कुमार संतोष   मूर्तिकार (स्क्रेप) - गाजियाबाद

मार्बल के मूर्तिकार 
    1. श्री शिब प्रसाद चैधरी-छत्तीसगढ़
     2. श्री हृदय कुमार कौशल-हरियाणा
     3 .श्री सुशान्त कुंडू-महाराष्ट्र्
     4. श्री इलाचेन्जियन - तमिलनाडू
     5. श्री नीरज अहीरवार  - भोपाल
     6. डॉ. लाल रत्नाकर (संयोजक) - गाजियाबाद 

चित्रकार ;
1. डा. राम शब्द सिंहः उ.प्र.
2. श्री मुरली लाहुटीः पुणे
3. श्री वी.नागदासः खैरागढ़
4. डा. आनन्द लखटकियाः बरेली
5. श्रीमती राखी कुमारः नई दिल्ली
6. श्री सुनील कुमार यादवः उ.प्र.
7. श्री प्रणाम सिंहः मणिपुर
8. श्री हरेन्द्र ठाकुरः रांची झारखंडः 
9. श्री महावीर वर्मा: रतलाम म.प्र.
10. श्री मुकेश बिजोले: भोपाल म.प्र.

इनके अतिरिक्त स्थानीय कलाकारों ने अपनी कलाकृतियां तैयार की, साथ साथ अपने कार्यों एवं कलाकारों की सहयोग और सहायता के साथ। 

ब्लैक मार्बल और स्क्रेप के भण्डार से मूर्तिकारों के समूह ने अपने अपने उपयोग की सामग्री का चयन किया उनके सहयोग के लिए कार्बेर, वेल्डर और हेल्पर की लगबहग 100 लोगों का सहयोग प्राधिकरण के अधिकारियों का तकनिकी एवं संसाधनात्मक सहयोग यथा विद्युत आपूर्ति सफाई सुरक्षा इत्यादि का इंतजामात। 

चित्रकला विभाग के विद्यार्थियों का सहयोग और नगर वासियों का उत्साह इसबार के कला उत्सव को एक अनोखा स्वरुप बनाने में सहयोग, होटल मेला प्लाज़ा का आतिथ्य और उनके साथ ही श्री राजीव शर्मा की टीम का अभूतपूर्व सहयोग। 

श्री अशोक भौमिक का वक्तव्य। 

*****
-डा. लाल रत्नाकर
(लेखकः प्रख्यात चित्रकार एवं मूर्तिकार हैं, अखिल भारतीय कला उत्सव गाजियाबाद के संयोजक हैं, एम.एम.एच.कालेज गाजियाबाद मंे चित्रकला विभाग के अध्यक्ष)

बुधवार, 9 मई 2012

कलाधाम

दिसम्बर २२,२०१३ से जनवरी ०२,२०१४ तक अवकाश के दिनों को इन मूर्तियों को गढ़ने में लगा दिया हूँ, इसमें सहयोग किया है राजस्थान से आमन्त्रीत दो कर्बर श्री भवानी सिंह और श्री प्रेम सिंह - डॉ . लाल रत्नाकर



गुजरी - १ द्वारा डॉ.लाल रत्नाकर 

एक शहर हो सपनों का ;

एक शहर हो सपनों का सीरिज के अन्तरगत गाजियाबाद कलेक्ट्रेट में "हमलोग" मूर्ति शिल्प की स्थापना 
जिसके मूर्तिकार -डॉ.लाल रत्नाकर, अभी कई अन्य स्थानों पर अनेक मूर्तियाँ लगनी हैं .


पुराने बस अड्डे के चौराहे पर लगाई गयी इलाचेंझियाँ की मूर्ति 





अखिल भारतीय कला उत्सव गाजियाबाद -2013
की गतिविधियाँ 
फूल की तरह खिलना चाहिए कलाकार को : रामवी सुतार
कला मनोरंजन नहीं है, बल्कि वह ऐतिहासिक रचना है जो एक बार बनने के बाद इतिहास के पन्नों में सदा के लिए अमर हो जाती है। जैसे बाग में खिले फूल को कोई तोडे़ या न तोड़े लेकिन फूल का काम खिलना है, ठीक उसी तरह कलाकार की कला को कोई सराहे या न सराहे, उसका कार्य कलाकृति बनाना है। कला से जुड़ी कुछ ऐसी ही बातें प्रख्यात मूर्तिकार पदमश्री रामवी सुतार ने कही।

देश के किसी भी कोने में आप जाए और कहीं भी यदि महात्मा गांधी की मूर्ति मिले तो, समझ लेना कि यह मूर्ति रामवी सुतार ने बनाई है। देश भर में गांधी जी की सर्वाधिक मूर्तियां बनाने वाले सुतार ने दैनिक जागरण से हुई बातचीत में कहा कि उन्हें गांधी जी की मूर्तियां बनाना बेहद पसंद है। हालांकि मौजूदा समय में मूर्तिकला मंहगाई की मार से सबसे ज्यादा जूझ रही है। पत्थर पर दिन रात चोट करके,उसे तराश कर जब मूर्तिकार उसे बाजार में बेचता है तो अधिकतर मूर्ति इसलिए नहीं बिक पाती, क्योंकि उनकी कीमत बहुत अधिक होती है और यहीं से कहीं न कहीं मूर्तिकार हताश होने लगता है। लेकिन हताश होने से कुछ नहीं होता। कलाकार के लिए धन ही सब कुछ नहीं होना चाहिए। वह बताते हैं, यदि आप कोई मूर्ति, कलाकृति अपने दोस्त,पड़ोसी को बनाकर देते हैं तो वह कलाकृति भी आपको प्रशंसा दिलाती है। इसलिए कलाकार को कला को सदैव धन से नहीं जोड़ना चाहिए।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में विशेषकर मूर्तिकला के क्षेत्र में कोई सरकारी सहायता भी न होने से भी मूर्तिकला का विस्तार नहीं हो पा रहा है। भारत की अपेक्षा विदेश में इस कला के कद्रदान अधिक हैं।
उद्घाटन मूर्तिकला कार्यशाला 
उद्घाटन मूर्तिकला कार्यशाला 
उद्घाटन मूर्तिकला कार्यशाला 
उद्घाटन चित्रकला कार्यशाला 
उद्घाटन चित्रकला कार्यशाला 
उद्घाटन चित्रकला कार्यशाला 
उद्घाटन चित्रकला कार्यशाला 
उद्घाटन चित्रकला कार्यशाला 


समापन चित्रकला कार्यशाला 

नोट-कला उत्सव में आमंत्रित कलाकारों के अतिरिक्त वे कलाकार जो मौलिक रचना करना चाहते हैं वे अपने काम के दो छाया चित्र, प्रोफाईल के साथ आवेदन कर आयोजन में अनुमोदनोपरान्त शरीक किए जा सकते हैं।
विद्यालयों एवं कालेजों के छात्रों के लिए भी उक्त शर्तें लागू होंगी। कला उत्सव में सृजित कृति कलाधाम की होगी।
-संयोजक 
गाजियाबाद में कला उत्सव आयोजित किये जाने की अवधारण  

कार्यशालाएं 
दिनांक                   आयोजन                                                                                                              समय
25.02.2013;    उद्घाटन मूर्तिकला कार्यशाला                                                                               12.00 बजे
26.02.2013'     मूर्तिकला कार्यशाला                                                                                     09.00 से 06.00
27.02.2013;     उद्घाटन चित्रकला कार्यशाला                                                                               12.00 बजे
28.02.2013;     मूर्तिकला कार्यशाला/चित्रकला कार्यशाला                                                       09.00 से 06.00
01.03.2013;     मूर्तिकला कार्यशाला/चित्रकला कार्यशाला                                                       09.00 से 06.00
02.03.2013;     मूर्तिकला कार्यशाला/चित्रकला कार्यशाला                                                       09.00 से 06.00
03.03.2013;     मूर्तिकला कार्यशाला/चित्रकला कार्यशाला                                                       09.00 से 06.00
04.03.2013;     प्रदर्शनी का शुभारम्भ/ कार्यशालाओं का समापन                                                         04.00

 सांस्कृतिक कार्यक्रम
इनके साथ साथ सह कार्यक्रमों में सांस्कृतिक कार्यक्रम सायं - 07 बजे से 10 बजे तक कलाधाम के 
ओपेन एअर थिएटर में आयोजित होंगे।







सोमवार, 7 मई 2012

आवश्यक सूचना ;

कलाधाम का निर्माण 2004 के कला उत्सव के प्रयासों से मिली सफलता से उत्साहित  प्रशासन ने 2006 में कविनगर में कलाधाम का निर्माण कराया परन्तु मूलभूत समस्यायों पर किसी का ध्यान नहीं गया है।

मूलतः कलाधाम की अवधारणा इस तरह की गयी थी जिससे गाजियाबाद में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिले परन्तु अभी तक हुआ उससे उल्टा, इसके कारणों पर न जाते हुए पूरे पांच वर्षों के उपरान्त संयोग ही है कि  श्री संतोष कुमार यादव (गा.वि.प्रा. के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष) तत्कालीन जिलाधिकारी जिनके संरक्षकत्व में इस जनपद ने सांस्कृतिक सम्पन्नता को भी छुआ था। जिसमें देश के विभिन्न कोनों से कलाकर्मियों ने शिरकत करके इस जिले को गौरवान्वित किया था।

उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि पुनः यह जनपद उसी तरह के कार्यक्रमों के द्वारा कलाओं के संगम का केन्द्र बनेगा .

और उससे पहले आप इस केन्द्र पर पधार कर भावी कार्यक्रमों को शक्ल देने में अपना सुझाव नीचे लिखे मेल  पर  दें। 
Kaladham Ghaziabad 
E-mail; kaladhamghaziabad@gmail.com
कलाधाम का निरीक्षण  करते हुए श्री संतोष कुमार यादव  Chairman/VC GDA अपने स्टाफ के साथ ,साथ में हैं कलाधाम के स्वप्नदर्षा डॉ .लाल रत्नाकर - फोटो -श्री सुभाष द्वारा













मंगलवार, 24 अप्रैल 2012

प्रक्रिया में है


कलाधाम के नाम से यह ब्लॉग जल्द ही आपको कलात्मक गतिविधिओं की जानकारी कराएगा !
इंतजार करें -

कुछ प्रासंगिक तस्वीरें;